Quantcast
Channel: narendra-modi – NavBharat Times Blog
Viewing all articles
Browse latest Browse all 33

लक्षद्वीप से अयोध्या तक

$
0
0

अक्षय शुक्ला

प्रधानमंत्री मोदी टूरिज़म के सबसे बड़े ब्रैंड एम्बैसडर बन गए हैं। जहां भी वे जाते हैं, उस जगह को लेकर न सिर्फ लोगों की जिज्ञासा बढ़ जाती है, बल्कि वहां जाने वालों की तादाद भी। लक्षद्वीप का उदाहरण हमारे सामने है। नए साल की शुरुआत में ही वहां के खूबसूरत समुद्री बीच के किनारे प्रधानमंत्री के टहलने और स्नॉर्कलिंग करने की तस्वीरें ऐसी वायरल हुईं कि हर कोई इस पर्यटन स्थल की जानकारी लेने में जुट गया। इस आइलैंड के ऑनलाइन सर्च में हज़ार गुना की बढ़ोतरी हो गई।

पीएम मोदी ने अपनी इस यात्रा के ज़रिए एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। मालदीव के चीन समर्थित नए राष्ट्रपति जिस तरह से भारत को आंखें दिखा रहे हैं, लक्षद्वीप की इन तस्वीरों के ज़रिए उन्हें तो एक संदेश मोदी ने दिया ही, साथ ही वोकल फॉर लोकल के अपने नारे को भी प्रमोट कर दिया। यानी देश में ही जब इतना खूबसूरत पर्यटन स्थल मौजूद है तो अधिक पैसा खर्च कर किसी विदेशी डेस्टिनेशन का रुख क्यों करना। फिर क्या था, मालदीव में अपनी छुट्टियां बिताने वाले ढेर सारे सिलेब्रिटीज़ ने भी लक्षद्वीप की खूबसूरती का बखान करते हुए कई पोस्ट सोशल मीडिया पर कर डाले। मालदीव की आमदनी में भारतीय पर्यटकों का योगदान कितना अहम है, उसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां की बुकिंग कैंसल करने वालों की बढ़ती संख्या ने मालदीव के पर्यटन उद्योग की धड़कनें बढ़ा दीं। बहरहाल, एडवेंचर के शौकीनों के लिए लक्षद्वीप हॉट डेस्टिनेशन बन चुका है। लेकिन अभी कनेक्टिविटी को लेकर यहां बहुत काम बाकी है। यहां का एयरपोर्ट अभी अधिक और बड़ी फ्लाइट्स का बोझ झेलने लायक नहीं है। होटल और रेसॉर्ट की संख्या भी सीमित है।

केदारनाथ मंदिर (फाइल फोटोः BCCL)

2019 में मोदी ने केदारनाथ मंदिर से 800 मीटर दूर स्थित एक गुफा में ध्यान लगाया था। उसके बाद से केदारनाथ जाने वाले लोगों के लिए वह गुफा कौतूहल का केंद्र बन गई। 2013 की प्राकृतिक आपदा में पूरी तरह तबाह हो चुके केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्य के बीच 2017 में भी प्रधानमंत्री यहां पहुंचे थे और 80 के दशक में मंदिर से दो किमी पहले मंदाकिनी नदी के किनारे गरुड़ चट्टी में डेढ़ महीने तक साधना करने की अपनी कहानी सुनाई थी। मंदिर के पास ऐसी तीन गुफाएं हैं, जो गढ़वाल मंडल विकास निगम के लिए अब आय का बड़ा ज़रिया बन चुकी हैं।

पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री की पिथौरागढ़ के आदि कैलाश से तस्वीरें सामने आईं और देखते ही देखते यह जगह सबके आकर्षण का केंद्र बन गई। यहां के ज्योलिंकोंग में हिमाच्छादित आदि कैलाश पर्वत के सामने ध्यान में बैठे पीएम की फोटो अखबार में छपी और चीन सीमा के निकट स्थित इस जगह को लेकर लोगों का क्रेज़ अचानक बढ़ गया।

यूं तो बनारस शुरू से ही देसी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन 2014 में मोदी के यहां से जीतने पर और दो साल पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तैयार होने के बाद यहां जाने वाले पर्यटकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पिछले साल के पहले नौ महीनों में ही लगभग 32 करोड़ पर्यटक उत्तर प्रदेश घूमने पहुंचे, जिनमें काशी सबसे पसंदीदा जगह रही। इसके बाद दूसरे व तीसरे नंबर पर प्रयागराज और अयोध्या रहे। अब राम मंदिर बनने के बाद स्पष्ट है कि अयोध्या बनारस को पीछे छोड़ने वाला है। हर महीने यहां दो करोड़ पर्यटकों के आने और सालाना 55 करोड़ रुपये की आय का अनुमान है। पर्यटकों के विशाल हुजूम को संभालने के लिए बड़े पैमाने पर होटल, रेस्तरां खोले जाने की तैयारी है। अगले दस साल में इस इलाके की पूरी अर्थव्यवस्था ही बदल जाएगी। इस दौरान यहां 85 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की संभावना जताई गई है। अयोध्या और काशी के ज़रिए उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जो इस राज्य की तस्वीर के साथ ही तकदीर भी बदल देगा।

 


Viewing all articles
Browse latest Browse all 33

Latest Images

Trending Articles





Latest Images